राजेश खोईवाल बून्दी (राजस्थान टीवी न्यूज़)। रक्षाबंधन के त्योहार को हिन्दू धर्म में बहुत ही खास मानते हुए हर साल इस पर्व को बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधते हुए उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई बहन को उपहार देते हुए हमेशा उसकी रक्षा करने का संकल्प लेता है। वैदिक ज्योतिष पंचांग के अनुसार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा। धर्मशास्त्रीय ग्रंथ धर्मसिन्धु के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हमेशा ही भद्रा रहित काल में मनाया जाता है। रक्षाबंधन के त्योहार पर इस वर्ष भद्रा का साया रहने से राखी कब बांधना उचित होगा इस विषय में ज्योतिषाचार्य पं.भानू शास्त्री ने बताया कि रक्षाबंधन का पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि और अपराह्र काल में मनाना शुभ होता है, लेकिन इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि रक्षाबंधन के समय भद्रा काल नहीं होना चाहिए। अगर रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहे तो भाई की कलाई में राखी नहीं बांधना चाहिए। इस वर्ष 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा तिथि सुबह 10.58 पर लगने के साथ ही भद्राकाल शुरू हो जायेगा। 30 अगस्त को भद्रा रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। अगले दिन 31 अगस्त को त्रिमुहूर्त व्यापिनी पूर्णिमा न होने से पूर्वरात्रि में ही भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल के दौरान रक्षाबंधन नही होता है। भद्रा रहित काल में ही रक्षासूत्र बांधना शुभ माना गया है। इस तरह से 30 अगस्त को दिन के समय रक्षाबंधन का मुहूर्त नहीं रहेगा। ऐसे में 30 अगस्त को रात 09 बजकर 02 मिनट पर भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही राखी बांधी जा सकती है
रक्षासूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त
रात्रि 9 बजकर 03 मिनिट से 12 बजकर 28 मिनिट तक के शुभ मुहूर्त में भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे जा सकते है।
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