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Wednesday, December 4, 2024

13 वर्षीय बालक संस्कार जैन के वैराग्य पथ की पूज्य मुनि नीरज सागर महाराज ने अनुमोदना एवं सराहना की वैरागी की कोई उम्र नहीं होती यह एक छोटे से 13 वर्षीय बालक संस्कार जैन ने साबित कर दिया।

राजेश खोईवाल
कोटा (राजस्थान टीवी न्यूज़) 4 दिसंबर 2024
 13 वर्षीय संस्कार नामक बालक ने 10 वर्ष की उम्र में ही वैराग्य की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए ग्रह का त्याग कर दिया और वर्तमान में आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज के संघ में रहकर बालक ज्ञान प्राप्त कर रहा है।
 आज तलवंडी जैन मंदिर में पूज्य मुनिश्री 108नीरज सागर जी महाराज ने अपने आशीर्वचन मे बालक को बहुत बड़ा वैरागी कहते हुए बालक के त्याग का बहुमान करते हुए प्रशंसा की
पूज्य मुनि श्री नीरज सागर महाराज ने कहा कि कुछ भी किसी से संबंध नहीं है केवल एक मात्र आत्म तत्व है। जिसने इस आत्म स्वभाव तत्व को जान लिया वह इस गृहस्थ को छोड़ वानप्रस्थ की और गमन कर देता है। वह वन की ओर चला जाता है और वह उन गुरुओं के सामने जाकर कहता है प्रभु मेरी आत्मा का कल्याण करो। संस्कार की ओर जिक्र करते हुए महाराज जी ने कहा कि बेटे का नाम संस्कार और एक छोटी सी उम्र में इसने वानप्रस्थ आश्रम को स्वीकार कर लिया और छोटी सी उम्र में 21 ग्रंथो का पठन-पाठन कर लिया है। उन्होंने कहा कि हमें भी अपने बच्चों को संस्कार के जैसे संस्कार देने चाहिए जैसे इसके माता-पिता ने दिए जो गीली मिट्टी में घड़े का रूप दिया, जो सभी को तृप्त करेगा। 

महाराज श्री ने कहा कि हम भी अतरंग में हमारे बच्चों को ऐसे ही संस्कार दें क्योंकि यह श्रमण श्रमण परंपरा का प्रभाव कैसे आगेबढ़ेगा। श्रमण कोई पेड़ से नहीं आता। वह हमारी माताओ की कोख से ही जन्म लेता है। आज हमारे संस्कारों में अर्थ का ही प्रयोजन रह गया है। हम उसे संसार में ही लगे रहने देते हैं। उन्होंने यथार्थ रूप बताते हुए कहा कि कोई भी मा अपने बेटे को मोक्ष मार्ग में लगाना नहीं चाहती। 
 समाज जन ने भी उनका सम्मान किया।
 इसी के साथ आज तलवंडी जैन मंदिर में आने वाले समय में दीक्षा लेने जा रहे दो ब्रह्मचारी दीदियों और एक ब्रह्मचारी भैया का गोद भराई कर बहुमान किया।
 धन्य है ऐसे वैराग्य पथ पर अग्रसर होने वाले जीव।।

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