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Monday, February 20, 2023

ब्रह्माकुमारी सभागार में शिवरात्रि महोत्सव एवं जीवन परिवर्तन संकल्प समारोह हुआ आयोजित

राजेश खोईवाल
बूंदी (राजस्थान टीवी न्यूज़)
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वाधान में छतरपुरा स्थित ब्रह्माकुमारीज. सभागार में महाशिवरात्रि के पावन पर्व के उपलक्ष में शिवरात्रि महोत्सव एवं जीवन परिवर्तन संकल्प समारोह का आयोजन हुआ कार्यक्रम के अतिथि महाराजा वंश वर्धन सिंह ,नगर परिषद सभापति मधु नुवाल, चारभुजा मंदिर अध्यक्ष पुरुषोत्तम पारीक एवं बूंदी जिला सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रजनी, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने शिव ध्वज लहरा कर दीप प्रज्वलन कर महाशिवरात्रि के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत कुमारी निकिता ने स्वागत नृत्य के द्वारा किया कुमारी भारती ने तिलक माला द्वारा अतिथियों का स्वागत किया। कुमारी लक्षिता कुमारी, कुमारी तनु ने शिव भजनों पर नृत्य कर सुंदर परिस्थितियों द्वारा सभी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया एवं शिव भोलेनाथ की छवि में लीन कर दिया
राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने महाशिवरात्रि के उपलक्ष पर दिव्य प्रवचन देते हुए कहा शिव अर्थात् कल्याणकारी नाम परमात्मा का इसलिए है क्योंकि यह धर्मग्लानि के समय, जब सभी मनुष्यात्माएं पांच विकारों के कारण दुःखी, अशान्त, पतित एवं भ्रष्टाचारी बन जाती हैं तो उनको पुन: पावन एवं कल्याणकारी बनाने का दिव्य कर्तव्य करते हैं । अतः परमात्मा को भी कर्म – भ्रष्ट संसार का उद्धार करने के लिए ब्रह्मलोक से नीचे उतरकर किसी साकार शरीर का आधार लेना पड़ता है। वह किसी साधारण वृद्ध तन में प्रवेश करते हैं । परमात्मा शिव के इस दिव्य अवतरण अथवा अलौकिक जन्म की पुनीत स्मृति में ही शिवरात्रि अर्थात् शिव जयंती का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार भारत में ही विशेष धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि भारत भूमि ही परमात्मा के अलौकिक जन्म तथा कर्म की पावन भूमि है।
शिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास, जो चैत्रवदी वर्ष का अन्तिम मास होता है, में आता है । अतः रात्रि की तरह फाल्गुन की कृष्ण चतुर्दशी भी आत्माओं के अज्ञान अंधकार अथवा आसुरी लक्षणों के पराकाष्ठा के अन्तिम चरण की द्योतक है। इसके पश्चात् आत्माओं का शुक्ल पक्ष अथवा नया कल्प प्रारंभ होता है अर्थात् अज्ञान और दुःख के समय का अन्त होकर पवित्र तथा सुख का समय शुरू होता है।
परमात्मा शिव अवतरित होकर अपने ज्ञान, योग तथा पवित्रता की शक्ति द्वारा आत्माओं में आध्यात्मिक जागृति उत्पन्न करते हैं। इसी महत्व के फलस्वरूप भक्त लोग शिवरात्रि पर जागरण करते हैं। शिव और शंकर में अन्तर न समझने के कारण, शिव को मस्त योगी समझ स्वयं को भी कृत्रिम रूप से मस्त बनाने के लिए नशे का सेवन करते हैं। लोगों को यह तो ज्ञान नहीं कि सच्ची मस्ती तो परमात्मा शिव से प्राप्त ज्ञानामृत प्राप्त करने से ही चढ़ती है।
आप सभी मनुष्यात्माओं को हार्दिक ईश्वरीय निमन्त्रण है कि शिवरात्रि के यथार्थ रहस्य को समझकर विकारों का सच्चा व्रत रखें एवं शीघ्र ही आने वाली नई सतयुगी दुनिया में देव पद को प्राप्त करें ।
आगे उन्होंने बताया भारत देश त्यौहारों और पर्वो का देश है। इन पर्वों और उत्सवों में कई ऐसे उत्सव हैं जिन्हें ‘महोत्सव’ की संज्ञा दी जाती है। उनमें महाशिवरात्रि का पर्व महोत्सव के रूप में याद किया और मनाया जाता है। यह देवों के देव महादेव, त्रिलोकीनाथ, मृत्युंजय, कालों के काल महाकाल, तीन देवताओं के रचयिता परमात्मा शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। इस पर्व को समस्त जगत की मनुष्य आत्माओं और परमात्मा के मिलन का पर्व भी कहते हैं। इस पर्व से ही पूरी दुनिया में नारियों को देवी, लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा और शीतला की देवी की उपाधि मिली है परन्तु बदलते परिवेश में इन महोत्सवों की केवल मान्यताएं और परम्पराएं ही रह गयी हैं जिसकी आध्यात्मिक व्याख्या न जानने के कारण प्रभु तथा अध्यात्म प्रेमी वर्तमान समय के दृष्टिकोण से पूजा-अर्चना कर इतिश्री कर लेते हैं। इसलिए इस महोत्सव से जो मनुष्य को प्राप्त होना चाहिए उसकी प्राप्ति का अभाव सा हो गया है।
  इस महाशिवरात्रि के पर्व पर स्त्रियां ही प्रमुखता से व्रत और उपासना करती हैं। इस महापर्व पर यह मान्यता है कि युवतियां अपने सच्चे, अच्छे और सद्गुणयुक्त वर की कामना करती है। ताकि उनका जीवन सम्पूर्ण सुखों से भरपूर हो। परमात्मा शिव सत्य और सुन्दर है। उसके अन्दर कोई भी अवगुण नहीं है तथा सर्व गुणों और सुखों का सागर है। परमात्मा शिव को जो वरने का संकल्प लेती हैं उनके जीवन का रक्षक स्वयं सर्व कल्याणकारी परमात्मा शिव हो जाते हैं और उनका जीवन युगों-युगों के लिए धन्य और सुखी हो जाता है। यह केवल युवतियों के लिए ही नहीं होता वरन् संसार में जितनी भी आत्मायें हैं वे सब पार्वती और सीता की भांति हैं जिनकों बुराइयों के इस राक्षस ने अपने वश में कर लिया है जिससे पूरे संसार में आतंक, हिंसा और अश्लीलता का माहौल है। ऐसे वक्त में हमें परमात्मा को सर्व सम्बन्धों की डोरी में बांधकर जीवन सौंप देना चाहिए। इससे हमारा जीवन पूर्ण रूप से सफल हो जायेगा।

ब्रह्मा कुमारी रजनी दीदी ने बताया कि
इस युग परिवर्तन बेला में पुरानी दुनिया का महाविनाश, नयी दुनिया की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश, एक धर्म की स्थापना तथा शान्ति और स्वर्णिम संसार की रचना के सन्दर्भ में शिवपुराण के आठवें अध्याय तथा वायवीय संहिता में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘सृष्टि के सृजन के लिए देवों के देव महादेव जगत कल्याणकारी परमपिता शिव ब्रह्मा की रचना करके उन्हें सृष्टि सृजन का दायित्व सौंपते हैं।’ इसके अनुसार परमपिता परमात्मा शिव इस कलियुग के अन्त तथा सतयुग के आदि पुरुषोत्तम संगमयुग में प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नयी दुनिया की स्थापना का गुप्त कार्य करा रहे हैं । परमात्मा का यही दिव्य संदेश है कि जीवन में भांग धतूरा तथा बेल-पत्र के समान निरर्थक तथा दूसरों को दुःख देने वाली बुराइयों को मेरे ऊपर अर्पण कर अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान नर से श्री नारायण तथा नारी से श्री लक्ष्मी जैसा बनने का दिव्य कर्म करो। इसके साथ पूरे जगत में काम, क्रोध, लोभ और भौतिक साधनों एवं सत्ता में फंसी दुःखी, अशान्त आत्माओं को ईश्वरीय संदेश देकर उन्हें सुख- शान्ति के अधिकारी बनाने का महान कार्य करो । ‘उपासना’ का अर्थ है कि आज झूठी माया, झूठी काया और झूठा सब संसार में अनेक बन्धनों को तोड़ ‘उपा’ अर्थात् एक, ‘सना’ अर्थात् सानिध्य अर्थात् एक परमात्मा शिव के सानिध्य में रहने का अभ्यास कीजिए । महाताण्डव और विपदा की घड़ी में परमात्मा शिव ही इससे मुक्ति दिला सकते हैं। अतः सर्व मनुष्यात्माओं को चाहिए वे इस नाजुक और परिवर्तन की घड़ी में स्वयं तथा परमात्मा को पहचान अपने जीवन में दैवी गुणों का समावेश करें तथा परमात्मा शिव से मिलन मनायें । यह पर्व ही आत्मा अर्थात् शक्ति और परमात्मा शिव के मिलन का पर्व है। इसके आध्यात्मिक रहस्य को जानकर मनाने में ही इस महापर्व की सार्थकता है और यही परमात्म संदेश है। 
नगर परिषद सभापति मधु नुवाल ने महाशिवरात्रि की सभी को बधाई देते हुए कहा हम सभी भोलेनाथ शिव परमात्मा की संतान हैं महाशिवरात्रि का पावन पर्व हमको भोलेनाथ की शरण में जाने के लिए शुभ अवसर प्रदान करता है ब्रह्माकुमारी द्वारा आयोजित जीवन परिवर्तन संकल्प कार्यक्रम कार्यक्रम में कुमारी मनीषा अपने जीवन को परिवर्तन कर ईश्वरीय सेवा में शिव परमात्मा के दिव्य कर्तव्य के लिए जीवन को न्योछावर करना समाज और देश के लिए मानव जाति के उत्थान के लिए स्वयं के कल्याण के लिए इस प्रकार का कदम उठाना हमारे भारत देश की सभ्यता संस्कृति संस्कार की देन है धन्य है हम सभी ऐसी महान सभ्यता संस्कृति और संस्कार प्रदान करने वाली भारत मां की संतान है ब्रह्मा कुमारी द्वारा सिखाया गया राजयोग मेडिटेशन हमें ऐसे दिव्य संस्कार प्रदान करता है जिससे हम अपनी जीवन को प्रभु अर्पण कर सेवा में जीवन को लगाकर मनुष्य जीवन की सार्थकता को प्राप्त कर लेते हैं प्रभु का सानिध्य प्राप्त करना ही मनुष्य जीवन की वास्तविकता है एवं यह स्व चिंतन द्वारा हम स्वस्थ जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
महाराव राजा वंश वर्धन सिंह महाशिवरात्रि की बधाई देते हुए कुमारी मनीषा को इस दिव्य संकल्प के लिए कोटि कोटि बधाई दी और शुभकामनाएं देते हुए कहा ऐसा महान कर्तव्य के लिए हमारे भारत में महान आत्माएं परमात्मा की असीम कृपा से ही पैदा होती है जो इतनी छोटी सी उम्र में ही उस ईश्वर के लिए अपना जीवन न्योछावर करने को तैयार हैं और मानव सेवा के लिए आध्यात्मिक जीवन को अपनाकर त्याग तपस्या से स्वयं के जीवन को तपा कर सादगी भरे जीवन से समाज को देश का नाम रोशन करेगी।
इस अवसर पर कैंडी लाइटिंग कर अतिथियों ने महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया श्रद्धालुओं ने शिव भजन पर आनंद प्राप्त किया। ब्रह्मा भोजन ग्रहण कर भोलेनाथ का भंडारा भरपूर सब काल कंटक दूर अपने जीवन में अनुभव प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी माधुरी दीदी ने किया एवं सभी का आभार व्यक्त ब्रह्माकुमार खुशराज ने किया। अतिथियों को ईश्वरीय सौगात भेट कर धन्यवाद ज्ञापित किया

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