डेंगू का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा और लगातार एसडीपी की आवश्यकता हो रही है। सरकारी अस्पताल हो या निजी सभी जगह मरीजों की भरमार है और गंभीर रोगी को एसडीपी की आवश्यकता महसूस की जा रही है और स्वयं सेवी संस्थाएं मरीज के मदद कर रही है। डोनर भी अपना इंसानियत का धर्म निभा रहे हैं। कोचिंग स्टूडेंट के लिए एक डोनर श्यामगढ से कोटा आया और उन्होंने 10वीं बार एसडीपी की।
टीम जीवनदाता के वर्धमान जैन और भुवनेश गुप्ता ने बताया कि यूपी का छात्र निजी अस्पताल में भर्ती था जिसे एबी पॉजीटिव एसडीपी की आवश्यकता थी। ऐसे में वर्धमान जैन के सहयोग से एसडीपी संभव हो सकी।
गुप्ता ने बताया कि डोनर पुष्पेन्द्र सिंह हाडा को कॉल किया तो वह श्यामगढ गए हुए थे। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी हो तो में आ सकता हूं। उनसे कहा कि कोचिंग स्टूडेंट के जीवन का सवाल है तो वह कार से सीधे अपना ब्लड सेंटर पहुंचे और 10वीं बार एसडीपी डोनेट की। वह इससे पूर्व 17 बार ब्लड डोनेशन कर चुके हैं और 5 बार कोविड में प्लाज्मा दे चुके हैं। हाडा का कहना है कि यदि किसी के बुरे वक्त में अच्छा काम करेंगे तो हमेशा अच्छा ही होगा। वहीं दूसरी और
निजी अस्पताल में भर्ती त्रिलोक सुमन की प्लेटलेट 16 हजार रह गई थी।
इसके लिए रावतभाटा के आरएपीपी में सेवारत वैज्ञानिक सहायक रोहित शर्मा ने एसडीपी डोनेट की।
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