दिल्ली (राजस्थान टीवी न्यूज़),1 अक्टूबर 2023
*राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए दिल्ली में बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की लगातार बैठकर आयोजित हो रही है। इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रह्लाद जोशी के साथ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र सिंह राठौर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और पार्टी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की लगातार चर्चाएं हो रही है।*
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर राज्य में हो रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
*इस विषय पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थक पार्टी आलाकमान से राजे को प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का लगातार दबाव बना रहे हैं।*
शुक्रवार को एक बार फिर से इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिला।
*दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय में गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से हुई। आधा घंटे हुई इस महत्वपूर्ण मुलाकात में अमित शाह ने प्रहलाद जोशी के साथ राज्य से चर्चा की।*
केंद्रीय चुनाव समिति सूत्रों ने बताया कि चर्चा में अमित शाह, प्रहलाद जोशी ने आरएसएस के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों से चर्चा कर मुख्यमंत्री राजे की राजस्थान में बहुमत की ताकत को परखा है।
*सूत्रों ने बताया कि आरएसएस पदाधिकारी की चर्चा के बाद अमित शाह और प्रहलाद जोशी ने भी राजस्थान में एक बार फिर से वसुंधरा राजे को मुख्य रूप से विधानसभा चुनाव में प्रमुख चेहरे के तौर पर आगे लाने का अच्छा जताई है।*
सूत्रों ने बताया कि वसुंधरा की कुशल रणनीति के तहत ही भाजपा को उम्मीद है कि राजस्थान में एक बार फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकती है। *इस विषय पर आरएसएस पदाधिकारी ने भी सहमति जताई है।*
जिससे अब एक बार फिर वसुंधरा राजे, बीजेपी में ही प्रदेश में अन्य विपक्षी नेताओं पर भारी पड़ गई है।
*यही कारण रहा कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की सरकार बनेगी।*
गौरतलब है कि बीते दिनों राजे ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
*राजस्थान की सीएम रेस में हुई वसुंधरा की वापसी?*
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा बीजेपी की सबसे बड़ी नेता हैं। प्रदेश में अब भी उनको भीड़ जुटाने वाली नेता के तौर पर जाना जाता है।
*पार्टी पॉलिटिक्स में वो भले ही खुद को साइड लाइन समझ रहीं थीं, लेकिन समर्थकों के बीच उनकी लोकप्रियता बनी हुई है और माना जा रहा है कि इसी लोकप्रियता की बदौलत उन्होंने चुनावी रेस में वापसी की है।*
माना जा रहा है कि आरएसएस नेताओं ने वसुंधरा की पैरवी की है।
*संघ का भी मानना है कि बिना क्षेत्रीय क्षत्रप को आगे रखे सिर्फ प्रधानमंत्री के नाम पर विधानसभा का चुनाव नहीं जीता जा सकता। कर्नाटक की हार के बाद संघ के मुखपत्र में ये बातें कही गईं थीं। राजस्थान में आरएसएस की जड़ें गहरी हैं।*
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