बूंदी (राजस्थान टीवी न्यूज)
बूंदी जिला चिकित्सालय में हो रही अव्यस्थाओ को देखकर मरीज और परिजन कहने लगे है की
चिकित्सालय हे या पोपा बाई का रावला है
एक दो नए नवेले डॉक्टर तो मरीजों और परिजनों से लड़ने भिड़ने को तैयार बैठे रहते हैं
जिनमें नो सर्जन डॉ आशीष व्यास का नाम सबसे पहले आता है
बूंदी चिकित्सालय में छोटी सी बीमारी पर ही मरीज के मरने का भय दिखाकर कोटा या प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजने पर मजबूर किया जाता है
कल बूंदी शहर से ही परिजन मरीज को दिखाने जिला चिकित्सालय लाये थे
जहा अनुभवी डॉक्टर सईद खान द्वारा मरीज की सोनोग्राफी करवाई जाती है
जिसमें सोनोग्राफी के डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाती है की
मरीज को पेशाब बंद हो रहा है
इसके पेशाब की नली लगवाना भर्ती करना अति आवश्यक है
अन्यथा मरीज की जान भी जा सकती है
इस वजह से सोनोग्राफी की जांच भी अर्जेंट 10 मिनिट दे दी जाती है
ताकि समय रहते मरीज का उपचार किया जा सके
लेकिन जेसे ही सोनोग्राफी की जांच लेकर 5 नंबर कमरे में पहुंचते हे
वहा मौजूद डॉ आशीष व्यास जांच देखते ही ट्रॉमा में स्थित फीमेल स्टाफ से मरीज को पेशाब नली लगाने की कहते है
जब फीमेल स्टाफ अपना कार्य करने वाली ही होती है
तभी वहा पर डॉ आशीष व्यास आते हे और कहते है
की नली में लगाऊंगा पहले मरीज को बेहोश करने का इंजेक्शन लगाऊंगा जिससे मरीज को कुछ भी हो जाता है
मरीज मर जाता है
तो उसकी जिम्मेदारी आपकी होगी
ऐसा परिजनो को पर्ची पर लिखकर देना होगा।
या फिर कोटा लेकर जाओ इस पर
परिजनों ने डॉ आशीष व्यास से कहा की सिर्फ पेशाब नली लगाने से ही मरीज मर सकता है तो फिर आप गंभीर बीमार मरीजों का इलाज कैसे करते होंगे
आप घर पर भी तो फीस लेकर आराम से शालीनता से मरीज को देखते हो यहां भी सर सरकार आपको फीस दे रही है
वैसे ही यहां भी तसल्ली से मरीजों को देखा करो मरीजों को और परिजनों को मरने का भय दिखाकर डराते क्यों हो
इतने में ही डॉ आशीष व्यास भड़क गए और
भागकर पुलिस चौकी में चले गए
ओर वहा जाकर मरीज के परिजनों की शिकायत करने लगे
जब वहा समझाइश की तो डॉक्टर साहब का गुस्सा शांत हुआ
और मरीज के सामने ही मरीज को पागल बता दिया और बिना मस्तिक की जांच किए ही मरीज को साइको बता दिया
ओर टिकिट पर भी लिख दिया की मरीज को साइको का इलाज के लिए पूर्व में भर्ती किया गया था
जब की पूर्व में मरीज को पांव में हुवे जख्म के इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था
ओर डॉक्टर ने तीन दिन की दवाई लिखकर मरीज को घर ले जाने को कहा
जिस मरीज के परिजनों ने कार्यकारी पीएमओ सुरेश अग्रवाल से शिकायत की तो उन्होंने सीनियर डॉक्टर पुखराज मीना को बुलवाया और मरीज को डॉ पुखराज मीना ने जांचा तो उन्होंने शालीनता से मरीज की जांच करते हुवे कहा की मरीज को नली लगाने की जरूरत ही नही है
आप बार बार मरीज को पानी पिलाते रहो मरीज को पेशाब भी आ जायेगा
परिजन यह सुनते ही राहत में आए अन्यथा
मरीज की छोटी सी बीमारी पर डॉक्टर आशीष व्यास ने इलाज करने की जगह मरने तक का भय दिखा दिया था
यहां तक की मरीज को साइको भी बता दिया
पोपा बाई के रावले में मरीजों को उपचार के लिए नहीं
मरीजों और परिजनों से लड़ने के लिए लगाए गए ऐसे डॉक्टर की देश की शरहद पर जरूरत है
ना की हॉस्पिटल में जरूरत है
जहा दुखी परेशान पीड़ित लोग आते है
ओर डॉक्टर साहब के प्यार भरे दो शब्द सुनकर भी आधे ठीक हो जाते थे
इसलिए डॉक्टर भगवान कहलाए जाए थे
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