भेदभाव करने वालों देख लो आज पिता का सीना गर्व से फुला नही समा रहा होगा
लखनऊ
खुद MBBS डिग्रीधारी रोहिणी के तीन छोटे बच्चे हैं, उनके पति समरेश सिंह सिंगापुर में ही एवरकोर पार्टनर्स नाम की कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
ऐसी परिस्थिति में कोई अपनी किडनी अपने जर्जर हो चुके 75 साल के बूढ़े पिता को दे तो यह साहस बेटियां ही कर सकती हैं।
रोहिणी ने कहा कि "पापा के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं, मैं तो अभी सिर्फ अपने शरीर का मांस ही दे रही हूं।" अपनी बेटी के साहस और ज़िद के आगे लालू प्रसाद यादव हार गए।
दरअसल बेटियों के रहते बेटे की चाहत में बच्चे पैदा करते लोगों के लिए भी यह एक सबक है कि बेटियां ही अधिक विश्वसनीय हैं, बेटे भी होते हैं मगर बेटी को पराई समझ लेना को मुर्खता से अधिक कुछ नहीं।
बधाई Rohini Acharya अपने पिता को दूसरा जन्म देने के लिए, विश्व की सारी बेटियां आप पर गर्व कर रहीं होंगी।
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