बूंदी (राजस्थान टीवी न्युज)
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय बाली बूंदी स्थित ब्रह्मा कुमारीज केंद्र के तत्वावधान में विश्व बेटी दिवस के उपलक्ष पर बेटी है तो कल है़ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी ने बेटी पर प्रकाश डालते हुए कहा घर में किसी को कोई तकलीफ हुई, परिवार पर कोई संकट आया, बेटियां विचलित हो जाती हैं। अपनों की तकलीफों को दूर करने के लिए, उनकी खुशी के लिए हर मुमकिन कोशिश करती है। बेटियां परिवार में ही नहीं समाज में भी कोई विपदा आने पर अपनी महत्व भूमिका निभाती है। अब तो बेटियां अंतरराष्ट्रीय जगत में देश का गौरव बन रही है। साबित कर रही है कि वे किसी से कम नहीं है। बेटियां कैसी-कैसी मिसाल कायम कर रही हैं, कैसे हमारी ताकत है। बचपन से लेकर सयाने होने तक बेटियां अपनों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरती रहती हैं। उनके होने से घर में रौनक रहती हैं। बेटियां घर आंगन की खुशियां होती हैं। घर में कोई संकट आ जाए तो बेटियों के रहते ज्यादा समय तक ठहरता नहीं। क्योंकि वह हर मुश्किल घड़ी में अपनों के साथ खड़ी हो जाती है। बेटियां अपनों का संबल बनती है। उनका प्यार, भरोसा, माता पिता और भाई की एक ताकत बनती है। ऐसे में किसी भी संकट को दूर होते देर नहीं लगती। साथी अपनी उपलब्धियों से भी बेटियां अपनों के जीवन को खुशियों से भर देती है। बेटी दिवस उनकी इसी भूमिका, उपलब्धियों को याद करने का दिन है। सिर्फ इस दिन नहीं हर दिन बेटियों की अहमियत को स्वीकारना चाहिए, क्योंकि उनसे ही घर-आंगन रोशन होता है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका एवं सभी सेवा केदो की इंचार्ज बहाने ही है और आज यह संस्थान विश्व के 140 से भी ज्यादा देशों में भारतीय संस्कृति एवं प्राचीन राज योग को प्रचारित करने का कार्य कर रहा है। परमपिता परमात्मा ने माता बहनों पर ज्ञान का कलश रख संसार में नारी का सम्मान बढ़ाया है,कोरोना संक्रमण की शुरुआत में एक बेटी ज्योति कुमारी अपने बीमार पिता को साइकिल पर गुरुग्राम से बिहार तक ले आई। इस बेटी के हौसले ने सबको हैरान कर दिया था। कुछ इस तरह उड़ीसा के कटक की रहने वाली एक कॉलेज छात्रा विष्णु प्रिया अपने परिवार का संबल बनी। दरअसल उसके ड्राइवर पिता की नौकरी कुछ महीनों पहले ही लॉकडाउन के चार कारण चली गई थी। विष्णु प्रिया ने घर की आर्थिक जिम्मेदारी संभाली। वह नामी फूड डिलीवरी एप के लिए के लिए खाना डिलीवर करने का काम करने लगी। इस काम के लिए बाइक चलाना भी विष्णु प्रिया ने सीखा। ऐसी कई मिसाले कोरोना काल में देखने सुनने को मिली, जहां संकटकाल में बेटियां अपनों का संबल बनी हैं। बेटियां सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों को लेकर ही संवेदनशील नहीं होती, वह जहां भी किसी को दुखी परेशान देखती है, मदद के लिए हाथ थामती है। वे पूरे समाज को अपने परिवार मानती है, अपनी सामर्थ्य अनुसार मदद करने के लिए आगे आती है। आज ये सभी बेटियां सबके लिए प्रेरणा हैं। आज बेटी दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि बेटियों को हर तरह से सबल-सशक्त बनाएंगे। उनकी राह में आने वाली बाधाओं को दूर करेंगे। उनको ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। तभी सही मायने में बेटी दिवस की सार्थकता है। इस अवसर पर कुमारी लक्षिता ने मेरे भारत की बेटी..... कुमारी महक ने बेटी है मेरी... गीत पर नृत्य प्रस्तुत कर बेटी के महत्व को प्रदर्शित किया। एक ड्रामा के माध्यम से राजीव बहन कुमारी अंकिता कुमारी निकिता कुमार अर्णव, ने बेटी को आने का संदेश दिया
No comments:
Post a Comment